बचपना था, दो किताबे थी छोटा सा बसता था
वयस्क होते गए, किताबे बढ़ी और बसता भी।
उमर बढ़ी बस्ता वही, रास्ता कुछ और था
पहले बस्ता सिर्फ एक बस्ता था!
जो अब जिमादारियो का वजन बढ़ाता गया
पहले बस्ते की मोल न जाना हमने,
अब बस्ता ही जीवन का मोल बन जहा हम बस्ते जा रहे।
बस्ता था छोटा सा जो अब बड़ा हो गया।।
~शुभ
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